या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Navratri puja 2018 2018
भारत देश में चैत्र मास मे पूरे विधि-विधान से मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व है नवरात्री! नवरात्री के नौवे दिन को श्री राम जी का जन्मउत्सव माना जाता है इसीलिए इस पर्व को रामनवमी और इन नवरात्री को रामा नवरात्री भी कहते है!
महाराष्ट्र में चैत्र नवरात्री का यह पावन पर्व गुड़ी पड़वा और कर्नाटका व् आंध्र प्रदेश में उगड़ी के नाम से शुरू होता है! वैसे तो साल में नवरात्री चार बार आते है परन्तु इन्हे दो ही बार पूरे विधिविधान के साथ मनाया जाता है!
नवरात्री के यह पावन नौ दिन माँ शक्ति के नौ रूप को समर्पित है! माना जाता है की माँ शक्ति ने नौ अलग अलग रूप धारण कर राक्षसों का संहार किया और उनसे देवताओं की रक्षा करी और तभी से नवरात्री पर माँ के सभी रूप की पूजा करके माँ शक्ति का आशीर्वाद लिया जाता है!
नवरात्री पूजा विधि
नवरात्री के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और आखिरी दिन नौ कन्याओं (कंजक) की पूजा करके उन्हें भोजन खिलाया जाता है और दक्षिणा दी जाती है! घर आने वाली इन नौ कन्यायों को माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के समान माना जाता है। बहुत से लोग नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा केनवरात्री पाठ भी करते है। जिसमे देवी के नौ स्वरूपों के अवतरित होने और दुष्टों के संघार का विवरण है। कहते है इस समय इनका पाठ करने से देवी भगवती की खास कृपा होती है।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते॥
नवरात्री पूजा विधि | Day- 1 | प्रतिपदा 18th मार्च 2018 (रविवार)
सती ने अपने पिता द्वारा भगवान् शिव की निंदा करने पर गाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे ‘शैलपुत्री’ नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवतीस्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।
माँ दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचें लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें। इसके ऊपर केशर से शं लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड दें। इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।
मंत्र – ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा श्रद्धा से आरती कीर्तन करें।

नवरात्री पूजा विधि | Day-2 | द्वितीया ब्रह्मचारिणी पूजा सिंधारा दूज 19th मार्च 2018 (सोमवार)
भगवान शिव को पति पाने के लिए नारद मुनि द्वारा कहने पर हिमालय पुत्री ने कई हज़ारों वर्षों तक घोर तपस्या करी! इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया।ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इससे ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तपका आचरण करने वाली।
पूजा विधि:
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सबसे पहले मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पण करें। उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और इसके देवी को प्रसाद चढ़ाएं। प्रसाद पश्चात आचमन कराएं और फिर पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें।
पूजा करने के समय हाथ में फूल लेकर इस मंत्र से मां की प्रार्थना करें, ‘दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।’ इसके बाद अक्षत, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करें। मां पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं। उन्हेंकिसी प्रकार का भय नहीं सताता।
नवरात्री पूजा विधि | Day-3| तृतीया चंद्रघंटा पूजा सौभाग्य तीज गौरी तीज 20th मार्च 2018 (मंगलवार)
विवाह होने के पश्चात् भगवन शिव ने माँ के माथे पर चन्दन से चंद्र रूप तिलक किया जिससे माँ का नाम चंद्रघंटा कहलाया! इस देवी के दस हाथ माने गए हैं और ये खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित ह। नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के इसी स्वरूप की पूजा, वंदना और स्तवनकरने का विधान है।ऐसा माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है।मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग कल्याणकारी माना गया है।
इनका ध्यान मंत्र है:
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

नवरात्री पूजा विधि | Day-4 चतुर्थी कुष्मांडा पूजा वरद विनायक चौथ लक्ष्मी पंचमी 21st मार्च 2018 (बुधवार)
जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार था तब माँ ने अपनी हस्सी से ब्रह्माण्ड की रचना करने के कारण माँ कुष्मांडा देवी कहलाई! ये ही सृष्टि की आदिस्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्तिकेवल इन्हीं में है। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
इनका ध्यान मंत्र है:
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।

नवरात्री पूजा विधि | Day-5 | 22 मार्च 2018 (गुरुवार) पंचमी स्कंदमाता पूजा
श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा है! जब पृथ्वी प्र असुरों का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था तब स्कंदमाता ने अपने संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्ट दानवों का संहार किया था! वात्सल्य की मूर्ति हैं स्कंद माता।
इनका पूजा मंत्र है:
सिंहासनगता नित्यं पद्याञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

नवरात्री पूजा विधि | Day-6 | 23 मार्च 2018 (शुक्रवार) षष्ठी कात्यायनी पूजा
विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की और कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए यह देवी कात्यायिनी कहलाईं। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ,धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।
मां भगवती का दाम्पत्य दीर्घसुख प्राप्ति मंत्र जाप इस प्रकार है:
एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम्।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोस्तुते।।
नवरात्री पूजा विधि | Day- 7 | 24 मार्च 2018 (शनिवार) सप्तमी कालरात्रि पूजा
भगवान शिव ने माता पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। उनकी बात मान कर माँ ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। लेकिन जैसे ही मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीजदैत्य उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया, जिन्होंने रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
मां का यह बड़ा ही विकराल स्वरूप है, जो की वीरता और साहस का प्रतीक मानी जाती है। मां कालरात्रि सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इस कारण मां का नाम ‘शुभंकारी’ भी है।
माँ काली की उपासना करने का मंत्र है:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
नवरात्री पूजा विधि | Day-8 |25 मार्च 2018 (रविवार) अष्टमी, महागौरी पूजा
भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं ! महगौरी पूजन करते समय इस मंत्र से देवी का ध्यान करनाचाहिए:
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”.
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
नवरात्री पूजा विधि | Day-9 | 26 मार्च 2018 (सोमवार) नवमी सिद्धिदात्री पूजा
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
श्री दुर्गा का नवम् रूप श्री सिद्धिदात्री हैं। ये सब प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा औरआराधना की जाती है। मार्कण्डेयपुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्वये आठ सिद्धियाँ बतलायीगयी है। भगवती सिद्धिदात्री उपरोक्त संपूर्ण सिद्धियाँ अपने उपासको को प्रदान करती है